आँचल शरण जी की रचनाएँ

1-
---🙏विनती🙏----

देना शक्ति हमें इतनी विधाता, 
भूल हो न कभी हमसे जरा सा। 

हम सब है नादाँ पर संतान तुम्हारे, 
तुम हो सृजनहार, पालन हारे। 

गलत राह पर, न चलाना हमें तुम, 
बस इतनी कामना है प्रभु तुम से हमारे। 

जितनी भी जियूँ ये जिंदगी मैं, 
सर पे हाथ रहे सलामत तुम्हारे। 

जाति- मजहब की कोई दीवार हो न, 
हर तरफ मुस्कुराता सृजन हो तुम्हारा।

इस जिंदगी में लाखों बेबसी है
अपनों को भी अब,
न पहचानता कोई है। 
देना शक्ति .... 

हर तरफ जुल्म बढ़ता ही जा रहा है 
बिखर रहा है सारा सृजन तुम्हारा। 

अब सारा जहाँ सहम सा गया है, 
देख कर प्रभु रौद्र रूप तुम्हारा। 

बिखर रहा जहाँ, उजड़ रही धरा है, 
हर जीव विनती कर रहा है तुम्हारा।

देना शक्ति हमें इतनी विधाता, 
भूल होना कभी हमसे जरा सा। 

सारी उलझन को तु सुलझा कर,
कर दे कंचन जहाँ को हमारा।

ज्ञान का दीप जलता रहे यहाँ पर, 
खिले चहुँ ओर ज्ञान का उजियारा।

देना शक्ति हमेंं इतनी विधाता, 
भूल हो न कभी हमसे जरा सा। 

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2.   
प्यारी बिटिया 

ओ नन्हीं सी बिटिया रानी
प्यारी सी मेरी गुड़िया रानी

मुस्कान तेरी है प्यारी -प्यारी
सबको लगती न्यारी - न्यारी। 

आँखें तेरी चमक रही
होंठ तेरे कुछ कह रहे है

शायद माँ को ढूंढ रही है
मेवा मिश्री मांग रही है। 

किलकारियां तेरी गूंज रही है
घर आंगन महका रही है

बेटी हूँ मैं यह बतला रही है
हूँ घर का सम्मान ये समझा रही है। 

आंगन में खुशियाँ लहरा रही है
साक्षात लक्ष्मी जगमगा रही है

है तु पापा की राज दुलारी
मम्मा की तुम सखी हो प्यारी । 

सदा आगे बढ़ते रहना तुम
कभी न पीछे मुड़ना तुम

सानियां, हिमा, किरण बनना तुम... 
वक़्त के साथ चलना तुम

तुम्हीं दुर्गा तुम ही सरस्वती 
जग को ये समझाना तुम। 

ओ नन्हीं सी बिटिया रानी
प्यारी सी मेरी गुड़िया रानी.. 

...............................
3.

🌺🌺भाई- बहन🌺🌺

हे! ईश्वर करूँ तुझसे हाथ जोड़ कर विनती, 
मुझे भी दे देते एक प्यारी सी बहन, 

तो आज सुनी न रहती मेरी कलाई
वो बांधती मेरे हाथों पर राखी और करती विनती, 

तब मैं भी उसे उपहार देता अनगिनति। 
जब - जब आता है रक्षाबंधन का त्योहार... 

तब - तब दिल उदास हो जाता है और
फिर करने लगता है आपसे विनती, 

मुझे भी दे देते एक प्यारी सी बहन
जिसकी मैं आजीवन सुरक्षा करता और
 निभाता अपनी सौहार्द नीति। 

पता नहीं! वे कैसे अभागे लोग है,
जिन्हें "बेटी" और "बहन"नहीं भाती? 

बहन तो सच में "माँ"का रूप है होती 
जो हमेशा यही चाहती खिलती रहे मायके की बगिया.. 

भाई का यश फैलाये भतीजा और भतीजी। 
हे! ईश्वर करूँ तुझसे हाथ जोड़कर विनती, 

मुझे भी देते एक प्यारी से बहन, 
जो बांधती मेरे हाथों पर राखी और करती विनती ..... 


आँचल शरण 
बायसी, पूर्णिया 
बिहार 
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चीख़ता वृक्ष




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