रक्षाबंधन
कवयित्री सरिता सिंघई की रचनाएँ पढें "रक्षाबंधन में बहन की पुकार" रक्षाबंधन है यह अटूट एवं पवित्र भाई बहनों के रिश्तो का त्यौहार, बहन अपने भाई की कलाई पर बांधती है उम्मीद भरा प्यार , सर पर तिलक लगाकर करती है आरती , और उम्मीद भरे शब्दों से कहती मेरे भैया करूं आज मैं तुझसे यह विनती , यह मेरी नहीं सभी बहनों की है हर भाई से विनती , इस रक्षा बंधन हमें यह उपहार भैया दे देना ।। भैया हमारे समाज में यह क्यों हो रहा है , शुरू होती है घर से हमारी यह कहानी, जन्म लिए जब एक कोख से तो यह भेदभाव क्यों हो रहा है, लड़की होने पर हर बहना का है दिल क्यों रो रहा हैं , जब सब कहते घर से ना निकल तू धन है पराया , चल रहा समाज में किसने यह रीत बनाया, मुझको सब क्यों कहते तू हैं पराया , मैं भी तेरे जैसा इस घर का नाज बन सकती , मौका मुझको भी एक दे दे , पापा के सरताज बन सकती, भैया मुझको भी यह हक दिला दें, हर बहना तूझसे आज करे यह विनती, इस रक्षा बंधन हमें यह उपहार भैया दे देना ।। भैया जब हम आगे बढ़ना चाहते तो यह समाज हमें क्यूँ करते हैं पीछे, हर मोड़ हर गली हर चौराहे पर क्यूं लोग हमें देखते बुर