रक्षाबंधन


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"रक्षाबंधन में बहन की पुकार" 

रक्षाबंधन है यह अटूट एवं पवित्र 

भाई बहनों के रिश्तो का त्यौहार, 

बहन अपने भाई की कलाई पर 

बांधती है उम्मीद भरा प्यार ,

सर पर तिलक लगाकर करती है आरती ,

और उम्मीद भरे शब्दों से कहती 

मेरे भैया करूं आज मैं तुझसे यह विनती ,

यह मेरी नहीं सभी बहनों की है हर भाई से विनती ,

इस रक्षा बंधन हमें यह उपहार भैया दे देना ।।



भैया हमारे समाज में यह क्यों हो रहा है , 

शुरू होती है घर से हमारी यह कहानी,

जन्म लिए जब एक  कोख से

तो यह भेदभाव क्यों हो रहा है,

लड़की होने पर हर बहना का है दिल क्यों रो रहा हैं , 

जब सब कहते घर से ना निकल तू धन है पराया ,

 चल रहा समाज में किसने यह रीत बनाया, 

मुझको सब क्यों कहते तू हैं पराया , 

मैं भी तेरे जैसा इस घर का नाज बन सकती ,

मौका मुझको भी एक दे दे ,

पापा के सरताज बन सकती,

भैया मुझको भी यह हक दिला दें,

हर बहना तूझसे आज करे यह विनती,

 इस रक्षा बंधन हमें यह उपहार भैया दे देना ।।



भैया जब हम आगे बढ़ना चाहते तो यह 

समाज हमें क्यूँ करते हैं पीछे,

 हर मोड़ हर गली हर चौराहे पर क्यूं लोग

 हमें देखते बुरी नजरों से ,

धक धक धड़कता है दिल सहमा सहमा रहता है ,

हमारा मन यह सोच में पड़ जाता है ,

हो ना जाए कुछ लाज को मेरे ,

और इस परिवार के नाज को मेरे,

कुछ हिम्मत करके कुछ करना भी चाहूं ,

पर लोग हंसकर कहते ,

पर गई पगली लड़कों के चक्कर में ,

जल्दी - जल्दी हाथ हमारे कराने लगते पीले ,

करें हर बहना तुझसे यह विनती ,

किसी की गलती की सजा हमें ना ऐसे दे दे ,

देना है तो उस समाज को दें,

जो गलती करके भी बैठे हैं घर में,

इस रक्षाबंधन हमें यह उपहार भैया दे देना ।।



भैया मेरे भी कुछ  अरमान है,

 मेरे भी अपने स्वाभिमान है,

 मैं भी अपना पहचान बनाना चाहती,

 हिमा दास ,कल्पना चावला ,सानिया

 मिर्जा ,झांसी की रानी..... ,

जैसा बन कर नाम अपना इस देश के

 नाम करना चाहती,

 हिम्मत, ताकत और भरोसा  बेटियों 

का होता है अपने घर से,

 आज की बेटियों की पहचान ही

 उसका होता असली गहना,

 हम पर भरोसा रखना भैया,

 यह हर बहना की हर भाई से है कहना ,

इसके सिवा मुझे और कोई चाहे नहीं गहना, 

इस रक्षा बंधन हमें यह उपहार भैया दे देना।।

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परिचय :-

कवयित्री  

प्रियंका कुमारी


पूर्णिया, बिहार 

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