कविता //गीत
1.प्रेम गीत
तुमने कह तो दिया प्राण प्रियतम मुझे
मुझको गलहार अपना बना लीजिए.
मन गगन से उडाओ न पंछी समझ
प्रेम पिंजरे की कोयल बना लीजिये
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(1.) रात बैरन थी मेरे लिये कल पिया|
आज सिरहाना चंदन का लेकर खड़ी|
रक्त बहता शिराओं में कत्थक करे|
स्वाँस गुथती है जीवन किरन की लड़ी|
तन का दोहा मचल कर सवैया हुआ|
अर्थ अब चेतना का बता दीजिये।
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(2) ऋतु तो पहले भी आती थी अँगनाइ में।
फूल खिलते थे ऐसी पवन तब न थी|
भोर संध्या सजन आरती आज हूँ|
चित्त में चांदनी की तपन तब न थी|
आज धड़कन बिखरती है गो-धूली सी|
आ के अधरों से उसको उठा लीजिए ||
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(3)थी अकेली मैं निष्प्राण थे क्षण मेरे|
तुम पर होकर समर्पित भजन हो गई|
तुमने छू कर मुझे वंदना कर दिया|
प्रीत मदिरा मधुर आचमन हो गई|
दे के आलिंगनों का सिंहासन मुझे|
राजरानी हृदय की बना लीजिए ||
2.गीत 🖋️🌿🌿
पायल सरगम रुनझुन कहती,
आजा प्रियतम मेरे।
सावन के मौसम में छाये,
श्यामल मेघ घनेरे।
सरिता तट पर गौरी बैठी,
पग से जल छपकाये।
लहरें जब घुंघरू को चूमे,
याद पिया की आये।
मन में अगन विरहा की बैरन,
डाल रही है डेरे।
सावन के मौसम में छाये,
श्यामल मेघ घनेरे।
नख सिख का श्रृंगार ये साजन,
किया समर्पित तुझको।
आकर आलिंगन में भर ले,
प्यारे प्रियतम मुझको।
काजल,कंगन,करधनियाँ सब,
पल पल तुझको टेरे।
सावन के मौसम में छाये,
श्यामल मेघ घनेरे।
नुपुर से निकली धुन ढूंढे,
तुझको देश पराये।
मोर पपीहा सा मन मेरा,
विचलित हो अकुलाये।
सपनों में पाती हूँ तुझको,
प्रियतम शाम सबेरे।
सावन के मौसम में छाये,
श्यामल मेघ घनेरे।
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3.नवगीत 🖋
डिबिया जैसी आँखों वाले,चीन तुझे धिक्कार है।
मानवता का दुश्मन चीनी,सोच तेरी मक्कार है।
कोरोना वायरस को लाकर,तूने दुनियां मिटाई है।
महाशक्ति की चाह में तूने,गंदी अक्ल जगाई है।
तेरी बुझदिल जनता का अब, साथ हमें इंकार है।
मानवता का दुश्मन चीनी, सोच.....
तेरी साजिश कुल जग जाने, विश्व है तड़पा साँसों को।
सुन ले ओ पापी पाखंडी, झेलेगा अब आहों को।
तड़प तड़प कर दुनियां कहती, चीनी तू बेकार है।
मानवता का दुश्मन चीनी सोच.....
तूने जिस पॉवर की खातिर,दुनियां भर को लूटा है।
सच कहती हूँ गौतम बुद्ध के,सिद्धांतों में झूठा है।
तेरा नक्शा विश्व पटल से मिट जाये स्वीकार है
मानवता का चीनी दुश्मन, सोच......
भारत को तू आँख दिखाकर, खुद ही खुद पछतायेगा।
भारत माँ का शेर लाल अब, तुझको सबक सिखायेगा।
सोच बनाले आज भी ऊँची,यहि तेरा उद्धार है।।
मानवता का दुश्मन चीनी ,सोच ....
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साहित्यिक परिचय
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*नाम*--श्रीमति सरिता सिंघई
उपनाम -- " *कोहिनूर* "
*पति* -- श्री रविन्द्र सिंघई जी
*पिता* -- स्व.श्री त्रिलोक चंद जी जैन
*माता* -- स्व.श्री कुसुम देवी जी जैन
*उद्देश्य*-- माँ शारद की साहित्य सेवा के माध्यम से राष्ट्र जन चेतना प्रचार, प्रसार
*जन्मतिथि*--- 17- जनवरी
*शिक्षा*---एम.ए.राजनीति शास्त्र
*वर्तमान पता*-- श्रीमति सरिता रविन्द्र सिंघई "कोहिनूर " पूर्व पार्षद नगर पालिका परिषद वार्ड क्र. 14 मेन रोड वारासिवनी बालाघाट( म.प्र.)
*पिन* -- 481331
*जन्म स्थान* -नरसिंहपुर
*विशेष विद्या कलायें*-- गीत ,ग़ज़ल ,गीतिका, मुक्तक ,दोहा,रोला,सोरठा ,रुबाई, कत्आत,सवैया,नज़्म,छंद मुक्त,विशिष्ट छंद चौपाईयाँ ,कुंडलियाँ ,हाइकू ,महिया ,मनहरण,कहानी ,लेख ,संस्मरण , नवगीत, लगभग समस्त साहित्य विद्या,लिख चुकी हूँ और कई प्रकाशित भी हो चुकी है।
*सम्मान* -- साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा *राष्ट्रीय ग़ज़लकारा* सम्मान से सम्मानित, उड़ान समूह द्वारा *स्वर कोकिला*गीत शिरोमणि* ,श्रेष्ठ ग़ज़लकारा सम्मान से सम्मानित
*ग़ज़ल संग्रह कोहिनूर* 150 ग़ज़लें प्रकाशित हो चुका है एवं अमेजॉन पर विक्रय हेतु उपलब्ध है
कई साँझा साहित्यिक संकलन निकल चुके है,और कुछ संकलन प्रेस में
श्रीमति सरिता सिंघई |
बहुत सुन्दर रचना
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