नव वर्ष पर कविता

भारत  *साँची-सुरभि*

         *स्वागत नववर्ष*


*लाया नूतन वर्ष क्या , क्या खोया यह साल ।

चिंतन का यह है विषय , इस पर कई सवाल ।।


कोरोना के कोप से , था भयभीत समाज ।

गूँज रही थी विश्व की , चिंतनीय आवाज ।।


चुनौतियों से पर कभी , मनुज न माना हार ।

उत्तम बुद्धि विवेक से , किया कठिन पथ पार ।।


गमन वर्ष करने लगा , लेकर सुख-दुख संग ।

दिखलाया इसने हमें , जीवन का कई रंग ।।


कोई काँटों में घिरा , मिला किसी को फूल ।

अनुभव अच्छे याद रख , पीड़ा जाना भूल ।।


हर विनाश का अंत ही , बने सृजन का मूल ।

आस और विश्वास का , चलो खिलाएँ फूल ।।


आने वाले वर्ष की , क्या होगी सौगात ।

करते मंगल कामना , सुखमय हो दिन रात ।।


आने वाले वर्ष का , स्वागत बारंबार ।

लाए प्यारा साल यह , अनुशासित व्यवहार ।।


खुशी ला रहा वर्ष यह , रखो पूर्ण विश्वास ।

पीड़ा हरकर बीस की , देगा शुभ मधुमास ।।


साँची शुभ संकल्प ले , कर स्वागत नव वर्ष ।

जीवन में खुशियाँ रहे , हो सबका उत्कर्ष ।।


         *इन्द्राणी साहू"साँची"*

         भाटापारा (छत्तीसगढ़)     

🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐🌷🌷🌷🌷

टिप्पणियाँ