गीत
विधा------ कुंडलियाँ
*विषय----- गीत*
मधुरिम गीतों से सदा , घुलता मन माधुर्य ।
सात सुरों की धुन सजे , बजे सुसंगत तुर्य ।।
बजे सुसंगत तुर्य , कर्ण प्रिय अति मनभावन ।
गीत संगीत साज , करे जीवन को पावन ।।
सुनो "धरा" की बात , लगे मत सरगम कृत्रिम ।
मोहे हृदय सुतान , रागिनी छेड़े मधुरिम ।।
*****
कलकल नदिया धार सी , बहे गीत संगीत ।
मन को आनंदित करे , जैसे हो मनमीत ।।
जैसे हो मनमीत , प्रेम धुन सदा बजाये ।
बजता घुँघरु पाँव , नृत्य कर मन हरषाये ।।
करे "धरा" स्वीकार , निरंतर बहता अविरल ।
रसमय मोहक गीत , बहे नद सम नित कलकल।।
****
रचनाकार
*धरा*
*रायगढ़*
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
धन्यवाद
आपने हमें अपना किमती समय दिया ।