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कविता //गीत

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नव वर्ष पर कविता पढें  1.प्रेम गीत   तुमने कह तो दिया प्राण प्रियतम मुझे मुझको गलहार अपना बना लीजिए.  मन गगन से उडाओ न पंछी समझ प्रेम पिंजरे की कोयल बना लीजिये ................................................ (1.) रात बैरन थी मेरे लिये कल पिया| आज सिरहाना चंदन का लेकर खड़ी| रक्त बहता शिराओं में कत्थक करे| स्वाँस गुथती है जीवन किरन की लड़ी| तन का दोहा मचल कर सवैया हुआ| अर्थ अब चेतना का बता दीजिये। ................................................... (2) ऋतु तो पहले भी आती थी अँगनाइ में। फूल खिलते थे ऐसी पवन तब न थी| भोर संध्या सजन आरती आज हूँ| चित्त में चांदनी की तपन तब न थी| आज धड़कन बिखरती है गो-धूली सी| आ के अधरों से उसको उठा लीजिए || .................................................. (3)थी अकेली मैं निष्प्राण थे क्षण मेरे| तुम पर होकर समर्पित भजन हो गई| तुमने छू कर मुझे वंदना कर दिया|  प्रीत मदिरा मधुर आचमन हो गई| दे के आलिंगनों का सिंहासन मुझे|  राजरानी हृदय की बना लीजिए || 2.गीत 🖋️🌿🌿 पायल सरगम रुनझुन कहती, आजा प्रियतम मेरे। सावन के मौसम में छाये, श्यामल मेघ घनेरे। सरिता तट पर ग

नव वर्ष पर कविता

भारत  * साँची-सुरभि*          *स्वागत नववर्ष* *लाया नूतन वर्ष क्या , क्या खोया यह साल । चिंतन का यह है विषय , इस पर कई सवाल ।। कोरोना के कोप से , था भयभीत समाज । गूँज रही थी विश्व की , चिंतनीय आवाज ।। चुनौतियों से पर कभी , मनुज न माना हार । उत्तम बुद्धि विवेक से , किया कठिन पथ पार ।। गमन वर्ष करने लगा , लेकर सुख-दुख संग । दिखलाया इसने हमें , जीवन का कई रंग ।। कोई काँटों में घिरा , मिला किसी को फूल । अनुभव अच्छे याद रख , पीड़ा जाना भूल ।। हर विनाश का अंत ही , बने सृजन का मूल । आस और विश्वास का , चलो खिलाएँ फूल ।। आने वाले वर्ष की , क्या होगी सौगात । करते मंगल कामना , सुखमय हो दिन रात ।। आने वाले वर्ष का , स्वागत बारंबार । लाए प्यारा साल यह , अनुशासित व्यवहार ।। खुशी ला रहा वर्ष यह , रखो पूर्ण विश्वास । पीड़ा हरकर बीस की , देगा शुभ मधुमास ।। साँची शुभ संकल्प ले , कर स्वागत नव वर्ष । जीवन में खुशियाँ रहे , हो सबका उत्कर्ष ।।          * इन्द्राणी साहू"साँची"*          भाटापारा (छत्तीसगढ़)      🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐🌷🌷🌷🌷

हमारा प्यारा देश भारत पर कविता

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  भारत   ------------- भारत है ऐसा भू - भाग जहाँ,  हर मजहब  के  लोग रहते हैं।  प्यार   से   इसकी  माटी  को,  हम  भारत  माता  कहते  हैं । इसके उत्तर में हिम गिरी हिमालय ,  जिसे  भारत  का  प्रहरी  कहते हैं।  देखकर जिसके विशाल काया को ,  दुश्मन भी सदेव भयभीत रहते हैं।।  जहाँ लोग  नदियों  की पूजा करते,  सूर्य   देव   को   अर्घ्य  चढ़ाते  हैं।  पवित्र   गंगा  में   गोता   लगाकर,  सुबह शाम  हर - हर  गंगे  गाते हैं। बसते हैं  रज  के  कण  -  कण   में,  परम्पराओं  का  परिधान  है  यहाँ।  संस्कृति है इसकी अनमोल धरोहर,  पढते संग में गीता और कुरान जहाँ। ऋषि - मुनियों  की यह पावन भूमि,  महापुरुषों व विद्वानों का वरदान है।  संस्कृत  के  हर   श्लोकों   में  छिपा,  आयुर्वेद ,गीता और पूरा विज्ञान है।। एक  सौ  पेंतीस  करोड़  जन  यहाँ,  एक साथ जन मन गीत को गाते हैं।  इसकी सोलह  सौ अठारह  भाषाएँ,  हम एक साथ होली, ईद मनाते हैं।।  हम  उत्तर  से  लेकर  दक्षिण  तक,  इसके पूरब  से  लेकर पश्चिम तक।  केसरिया,श्वेत और  हरे  रंगों  वाली,  बस एक ही तिरंगा हम फहराते हैं।  जहाँ गुरू - शिष्य  की  है परम्परा,  अतिथियों

बाल कहानी

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 कहानी _ (टिंकू और मोबाईल) एक गाँव में टिंकू नाम का लड़का रहता था। जो बहुत ही चालाक एवं होशियार था। वह अपना सभी काम समय पर किया करता था। वह बहुत ही लगनशील एवं परिश्रमी भी था।रोज सुबह सवेरे जग जाता और अपना सभी काम समय पर कर लेता । खुद खाना बनाता और खाकर विद्यालय चला जाता। वह हमेशा नियमित समय पर विद्यालय जाता था तथा अपना सभी गृह कार्य को भी पूरा कर लिया करता था। जिसके कारण उसे सभी शिक्षकों का बेहद स्नेह मिलता था। और, वह पूरे विद्यालय में अव्वल आता था। लेकिन फिर भी उसे तनिक भी घमंड नहीं था। वह अपने सभी दोस्तों के साथ खूब मौज मस्ती करता और सभी के साथ अच्छा व्यवहार करता था।                    एक दिन की बात है जब वह विद्यालय से घर को लौट रहा था तो उसे सड़क के किनारे एक डब्बा मिला। पहले तो वह उस डब्बा को छूने से डर रहा था क्योंकि उसे विद्यालय में एक दिन बताया गया था कि बाहर पड़ी डिब्बे या खिलोने को नहीं उठाना चाहिए क्योंकि उस डब्बे या खिलोने के अंदर बम हो सकता है। जिससे तुम्हारी जान जा सकती है।और, इसी बीच उसने शिक्षक से प्रश्न भी किया था कि -"बम क्या होता है और यह कैसे फटता है ?" ले